मैं बैठी रहूँ जिंदगी तेरी आंखों में जिन्दादिली खोजते हुये
और मेरा ये सफर चलता रहे
दूर बहती हुई नदी को देखूं डूबते सूरज में समाते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
कदमों के शोर को सुनूं मन की गहराई में खोते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
छोड़ पीछे मील के पत्थरों को फासला मंजिल का तय करते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
हँसी और ठहाकों की गुंजन को सुनूं कानों में घुलते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
रोशनी से नहाते शहरों के अंधेरे कोनों में देखूं ख़ुद को डूबते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
ऊँची लहरों पर चलूँ संभलकर और किनारों पर डगमगाते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
उलझे कोई दामन से मेरे उन काँटों को नंगे पाँव कुचलते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
थामकर चलूँ किसी का हाथ क्षितिज को मंजिल बनाते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
इन पलों में बसती यादों को हर पल फ़िर से जीते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे.........
और मेरा ये सफर चलता रहे
दूर बहती हुई नदी को देखूं डूबते सूरज में समाते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
कदमों के शोर को सुनूं मन की गहराई में खोते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
छोड़ पीछे मील के पत्थरों को फासला मंजिल का तय करते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
हँसी और ठहाकों की गुंजन को सुनूं कानों में घुलते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
रोशनी से नहाते शहरों के अंधेरे कोनों में देखूं ख़ुद को डूबते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
ऊँची लहरों पर चलूँ संभलकर और किनारों पर डगमगाते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
उलझे कोई दामन से मेरे उन काँटों को नंगे पाँव कुचलते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
थामकर चलूँ किसी का हाथ क्षितिज को मंजिल बनाते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे
इन पलों में बसती यादों को हर पल फ़िर से जीते हुए
और मेरा ये सफर चलता रहे.........
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