जहाँ हर पल एक नई आशा हो
जहाँ दोपहर भी सुबह की तरह ताजा हो
जहाँ गिरकर फ़िर उठने की हिम्मत हो
जहाँ बातों में सादगी और लड़कपन हो
जहाँ अहम् कभी जन्मा ही न हो
उम्मीद की रोशनी पर लगा ग्रहण न हो
जहाँ बारिश के पानी में फिसलन न हो
जहाँ किस्मत से हुई कोई अनबन न हो
जहाँ रेगिस्तान में बहती मंद पवन हो
तारों में लिपटा स्वप्निल गगन हो
जहाँ घृणा द्वेष से अनजान हर धड़कन हो
जहाँ नींद से जागा अलसाया सा बचपन हो
जहाँ कभी समझी एकांत की तपन न हो
जहाँ दोस्त हो दोस्ती में जमती बर्फ न हो
जहाँ रोशनियों के गिर्द फैला अँधेरा न हो
ऊँचे आसमान में उड़ता पंछी भूला बसेरा न हो
जहाँ धारा प्रवाह बदलने का प्रयास हो
भंवर में फंसी नाव को किनारों से मिलने की आस हो
जहाँ ओस की बूँद भी करती सूर्य से संघर्ष हो
जहाँ आंखों में झांकता सुदूर क्षितिज हो
जहाँ सिर्फ़ जीत ही न हो हार भी पराजित हो
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