डूब जाते गर गहरे पानी में,
तो बात कुछ और थी,
हम तो उछले किनारों
पर फिसल कर घुट गए,
सांस थमने को सिर्फ,
एक बहाने की जरूरत थी,
और इस छिछले पानी में तो,
अब मछलियाँ भी नहीं तैरा करती,
यहाँ जिंदगी का कोई निशान,
न मेरे आने से पहले था,
न मेरे होने से कुछ होगा।
तो बात कुछ और थी,
हम तो उछले किनारों
पर फिसल कर घुट गए,
सांस थमने को सिर्फ,
एक बहाने की जरूरत थी,
और इस छिछले पानी में तो,
अब मछलियाँ भी नहीं तैरा करती,
यहाँ जिंदगी का कोई निशान,
न मेरे आने से पहले था,
न मेरे होने से कुछ होगा।
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