तन्हा रहते हुए
एक अरसा गुजर गया
इतना लंबा गुजरा
कि मेरी सोच को तन्हा कर गया
खामोश रहते हुए
कितना वक़्त गुजरा
कितने दिन, कितनी रातें
बिना एक लफ्ज़ बोले
या सुने हुए
क्या लगता है
क्या ये ख़ामोशी
सोच को खामोश कर पायेगी
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