लिखता हूँ खुद को
जीवन भर
करता हूँ मीलों पार
इस तपते रेगिस्तान में
सोचते हुए कि
ये कहानी
अब क्या मोड़ लेगी
ये एक सागर है
इसकी एक लहर
डुबा देगी
या उतरा देगी
कहानीकार हूँ मैं
जीवन हूँ मैं
मृत्यु भी हूँ
मैं प्रकाश
मैं अन्धकार भी हूँ
करते हुए बातें कभी
खुद से
उलझ पड़ता हूँ मैं
नींद से
रातों में
जला कर बत्तियां फिर मैं
सपनो को सजाता हूँ
कहानीकार हूँ मैं
Very nice (Y)
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