All works copyright of Ankita Chauhan Please note that work here belongs to Ankita Chauhan and may not be reproduced anywhere without her prior permission.
Comments and criticism are welcome to the posts published on the blog. Please leave your valuable comments here and if you have a blog yourself, please leave a link to that as well, I will be glad to read works of fellow writers. Thanks
बुधवार, 19 दिसंबर 2012
तुम महा-मानव नहीं
तुम महा-मानव हो
तुम सब कुछ हासिल कर सकते हो
यही सोच कर तुमने कदम बढाए थे
एक चीटी को कुचल देने के लिए
पर वो चीटी नहीं थी
और तुम महा-मानव नहीं
तुम्हे शायद इसका कभी पश्चाताप भी नहीं होगा
पर वो फिर कभी ज़िंदा ना हो पायेगी
तुम महा-मानव हो तुम सब कुछ हासिल कर सकते हो यही सोच कर तुमने कदम बढाए थे एक चीटी को कुचल देने के लिए पर वो चीटी नहीं थी और तुम महा-मानव नहीं तुम्हे शायद इसका कभी पश्चाताप भी नहीं होगा पर वो फिर कभी ज़िंदा ना हो पायेगी
अफसोस ! मिट्टी के पुतले का दंभ कितना खोखला होता है ...
अंकिता चौहान जी सार्थक सामयिक कविता के लिए साधुवाद ! शुभकामनाओं सहित… राजेन्द्र स्वर्णकार
सत्यता को पूर्ण रूप से व्यक्त किया है आपने बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
तुम महा-मानव हो
तुम सब कुछ हासिल कर सकते हो
यही सोच कर तुमने कदम बढाए थे
एक चीटी को कुचल देने के लिए
पर वो चीटी नहीं थी
और तुम महा-मानव नहीं
तुम्हे शायद इसका कभी पश्चाताप भी नहीं होगा
पर वो फिर कभी ज़िंदा ना हो पायेगी
अफसोस !
मिट्टी के पुतले का दंभ कितना खोखला होता है ...
अंकिता चौहान जी
सार्थक सामयिक कविता के लिए साधुवाद !
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
thank u rashmi ji for including my poem in your collection..
जवाब देंहटाएंthank u arun ji and rajendra ji. thanks for your encouragement.
very nice....congrats.
जवाब देंहटाएं