एक प्राइवेट कंपनी के दफ्तर में ज़िन्दगी थोड़ी तेज़ चलती है
वक़्त का हर एक कतरा बटा होता है
काम के अलग अलग हिस्सों में
जिंदगी चलती है हर एक बात का रिमाइंडर लगा कर
की कही कोई जरुरी डिटेल छूट न जाए
एक प्राइवेट कंपनी के दफ्तर में
आपकी अपनी प्राइवेट जिंदगी तो हो सकती है
पर पर्सनल कुछ भी नहीं हो सकता
आप के हर एक मिनट आप प्रोफेशनल की कसौटी पर कसे जाते हैं
और इस जिद में आप ये भूल जाते है
की आप सिर्फ चल नहीं रहे
आप दौड़ रहे है
वो देखिये आप जोर जोर से हाँफते हुए
भागते कहाँ चले जा रहे हैं
आज सुबह एक मीटिंग
कल शाम एक प्रेजेंटेशन है
फ्राइडे को एक डेडलाइन है
अगले मंडे टीम मीटिंग है
आपके सालाना टारगेट्स तय होने हैं
आपकी सालाना तरक्की का जायजा लिया जाना है
आपने कब कब काम में सुस्ती दिखाई
इस बात का अब आपसे हिसाब लिया जाएगा
अरे ये क्या
आप हताश क्यों हो रहे हैं
अभी तो आपको थोडा तेज़ और भागना होगा
अगले साल शायद प्रमोशन भी हो जाए
इस साल आप उस आने वाले प्रमोशन से ही मोटीवेट हो लीजिये
अरे ये क्या
आप कंपनी के लिए बिज़नस लेकर आइये
कुछ इनोवेटिव आइडियाज तो पेश करिए
अरे समझिये
अभी इस साल ज़रा संयम बरतिए
तो क्या हुआ
जो दूसरों को आपसे बेहतर तरक्की दी जा रही है
उनसे कुछ सीखिए
अरे थोडा तो प्रोएक्टिव बनिए
थोड़ा काम के प्रति अग्रेशन दिखाइए
भाई दूसरो को दिखना चाहिए की आपने काम किया है
सिर्फ काम करना ही काफी नहीं है
उसे दिखाना भी आना चाहिए
और अंत में
हम जानते है आपने बहुत काम किया है
आपमें बहुत टैलेंट भी है
अरे उस टैलेंट जो थोडा और निखारिये
बस थोडा तेज़
थोड़ा और तेज़ दौडिए
देखिये वो आपके साथी
वो आपसे आगे निकल रहे हैं
और अब देखिये
आप पहले से भी तेज़ दौड़ रहे हैं
वक़्त की क्या बात करते है
यहाँ वक़्त बचा ही कहा है
ये आप थोड़ा थके हुए से क्यों लग रहे हैं
क्या आपके सर में अब दर्द रहता है
बैठे बैठे कमर भी दुखने लगी है
एयर कंडीशनर की हवा से जुखान भी रहने लगा है
आपकी आँखों का नंबर भी बाद गया है
ये क्या
आप इतने कमजोर क्यों लगते है
किसी डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते
अरे बॉस आप कुछ दिन छुट्टी लेकर आराम कर लीजिये
ज़िन्दगी बहुत तेज़ दौड़ रही है
ज़रा थम कर स्थिति का जाएजा तो ले लीजिये
पर ये क्या
अब तो तेज़ भागने की आदत पड़ चुकी है
धीरे चलो तो सर घुमने लगता है
लगता है अब हम इस प्राइवेट नौकरी के लायक ही रह गए है
और जिंदगी के पहिये को
तेज़ तेज़ घुमा कर
बगैर देखे
सोचे समझे बूझे
जाने परखे
बस भागते जा रहे हैं
आखिर जिंदगी भी तो तेज़ी से भागती जा रही है
अरे देखो
ज़रा उसे पकड़ो!!!
बेहद सटीक नज़ारा दिखाया आपने !
जवाब देंहटाएंवो जो स्वयं विलुप्तता मे चला गया - ब्लॉग बुलेटिन नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को समर्पित आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
shukriya hausla afjaayi ke liye..
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