मेरे घर के दरवाजे पर कोई
दस्तक दिए बगैर चला आता है
फेंकता है कुछ सामान इधर उधर
और खाली दीवारों को घूरता है देर तक
मेरी मेज पर बिखरी किताबों को
उलट पलट कर
ढूंढता है कुछ कोई
मेरी एक आधी पढ़ी किताब को खोल कर
उसे वहीँ बीच से पढने लगता है
मेरी खिड़की से बाहर झाँक रहा है कोई
बारिश में भीगे हवा के झोंके
उसके चेहरे को थपकियाँ देते हैं
गम सुम बूंदों की खुशबू को समेटने को
उसने अपनी बाहें फैला ली हैं
मेरे बिस्तर पर लेटा है
बेसुध सा सोया कोई
मैं उसके थके चेहरे पर खिची लकीरें पढता हूँ
माथे की सिलवटों से शिकन छांटता हूँ
मेरे आईने से देखता है मेरी आँखों में कोई
मैं उस अनजान चेहरे को पहचानने की कोशिश में
अपनी उँगलियाँ आईने में बने अक्स पर फेरता हूँ
वो मैं ही हूँ
Its an amazing composition... n i understood.... wow..
जवाब देंहटाएंamazingly written........
जवाब देंहटाएंthanks so much pooja.. :) :)
जवाब देंहटाएंvry nice amazing..... gud one :)
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