All works copyright of Ankita Chauhan
Please note that work here belongs to Ankita Chauhan and may not be reproduced anywhere without her prior permission.
Comments and criticism are welcome to the posts published on the blog. Please leave your valuable comments here and if you have a blog yourself, please leave a link to that as well, I will be glad to read works of fellow writers. Thanks

सोमवार, 4 मई 2015

सहूलियत के दायरे

मैंने एक सहूलियत की
दुनिया बसा ली है
अब मैं उसके दायरों के
अंदर ही रहता हूँ

इन दायरों से
बड़ी सहूलियत है
इससे जिंदगी के
सभी दांव पेंच
सुलझे से लगने लगे हैं
अब मुझे कोई
जोखिम लेने की जरुरत नहीं
क्यूँकि ये दायरे मुझे
सहूलियत के झूले
से उतरने ही नहीं देते

हालांकि शुरू में
दायरों में रहना
आसान न लगता था
वक़्त बेवक़्त एक आवाज
सुनायी देती थी
शायद मेरे अंतर्मन की आवाज
कचोटती सी तीखी
कान के परदे चीरती हुई
मन की गहराईयों को पार कर
पर फिर भी कहीं दूर से
आती हुई लगती वो आवाज
अब नहीं आती
बेवक़ूफ़ कहती थी
कि इतने आराम परस्त न बनो
सिर्फ एक जिंदगी मिली है
इससे अपने ढंग से जीने की
जुर्रत तो करो
ये क्या जमाने की तरह
सहूलियतें जमा कर रहे हो
कुछ जोखिम उठाओ
तब देखो जिंदगी कैसे
खिल कर उठेगी
हर दिन नया होगा
कैसे सुहाने सपने
आहा दिखाए उसने

पर मैंने सुनकर अनसुना कर दिया
नहीं ये मेरे लिए नहीं
ये आवाज मेरी नहीं
और न मेरे लिए है
ये मुझसे न होगा
कहीं आसमान के सपने
दिखाने वाली ये आवाज
छलावा तो नहीं

कुछ वक़्त गुजरा
दिन, महीने, साल गुजरे
और सहूलियत की चादर
मेरे तन अंतर्मन पर चढ़ती रही
अब कोई आवाज
मुझ तक नहीं पहुचती
बड़ा सुकून है इन दायरों में
मैं तो बड़ा खुश हूँ
अपनी इन पाबंदियों में
ये सहूलिएत के झूले
ये पाबंदियों की खिड़कियां
ये बंधनो के दरवाजे
मैंने सब ठीक से
ताले लगा बंद कर लिए हैं
मैं अपनी सहूलियतों के 
दायरों में हिफाजत से हूँ

क्या कहते हैं
मैं कायर हूँ
नहीं नहीं
आप बेवक़ूक़ हैं
जो बेकार जोखिम
उठाये घूमते है
आखिर दिखाना क्या चाहते हैं
मेरी तो समझ से पर है
आप किस आवाज की बात कर रहे हैं
अरे उसे गुजरे तो ज़माना हो गया
अपना इलाज क्यों नहीं करवाते
मुझे तो कोई आवाज नहीं
सुनायी देती
क्या बात करते हैं
मैं आपको इलाज बताता हूँ
आप भी वही करिये
जो मैंने किया
मैं आपको उस जगह का पता
लिख देता हूँ
जहां से मैंने अपनी
सहूलियतें खरीदी हैं
आप भी ज़रा
सहूलियतें खरीद लीजिये
सारी आवाजें आना बंद हो जाएँगी
सच कहता हूँ
ज़रा आजमा कर तो देखिये। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें